घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण नियम 2006 की नियम 14 में विहित किये गये अनुसार परामर्शदाताओं द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया क्या है?

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उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण नियम 2006 की धारा 14

में विहित किये गये अनुसार परामर्शदाताओं द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया निम्नानुसार-

 नियम 14. परामर्शदाताओं द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया-

1. परामर्शदाता, न्यायालय या संरक्षण अधिकारी या दोनों के साधारण अधीक्षण के अधीन कार्य करेंगे।

 

2.  परामर्शदाता, व्यथित व्यक्ति या दोनों पक्षकारों की किसी सुविधाजनक स्थान पर बैठक बुलाएंगे।

 

3.  परामर्श के लिए बुलाए गए कारकों के अंतर्गत एक कारक यह भी होगा कि प्रत्यर्थी यह वचनबंध देगा कि वह ऐसी घरेलु हिंसा से जो परिवादी द्वारा शिकायत की गई है, दूर रहेगा और समुचित मामले में यह वचनबंध देगा कि वह मिलने का प्रयास नहीं करेगा या परामर्शदाता के समक्ष परामर्श कार्यवाहियों या सक्षम अधिकारीता के न्यायालय के आदेश से विधि या आदेश से अनुज्ञेय के सिवाय संसूचना की किसी रीति में पत्र या टेलीफोन, इलेक्ट्रानिक मेल या किसी अन्य माध्यम के द्वारा हो, संपर्क करने का प्रयास नहीं करेगा।

 

4.  परामर्शदाता, परामर्श कार्यवाहियों को यह ध्यान म रखते हुए संचालित करेगा कि परामर्श यह आश्वासन प्राप्त करने की प्रकृति का हो कि घरेलु हिंसा की पुनर्रावृत्ति नहीं होगी।

 

5. प्रत्यर्थी उस तथ्य के परामर्श में घरेलु हिंसा के अभिकथित कृत्य के लिए किसी प्रति न्यायोचित के लिए अभिवचन करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा और प्रत्यर्थी द्वारा घरेलु हिंसा के कत्य के लिए कोई न्यायोचित परामर्श कार्वाहियां, जो कार्यवाहियां प्रारंभ होने से पूर्व प्रत्यर्थी की जानकारी में होनी चाहिएं, के भाग को अनुज्ञात नहीं किया जाएगा।

 

6.  प्रत्यर्थी को परामर्शदाता यह वचनबंध देगा कि वह व्यथित व्यक्ति द्वारा शिकायत के रूप में ऐसी घरेलु हिंसा करने से अपने को दूर रखेगा और उपयुक्त मामलों में यह वचन देगा कि वह परामर्शदाता के समक्ष परामर्श कार्यवाहियों के सिवाय पत्र या टेलीफोन द्वारा ऐसी किसी रीति में संसूचना ई-मेल या किसी अन्य माध्यम से मिलने का प्रयास नहीं करेगा।

 

7.  यदि व्यथित व्यक्ति इस प्रकार की इच्छा करे, तो परामर्शदाता, मामले के समाधान के लिए प्रयास करेगा।

 

8.  परामर्शदाता के प्रयासों की सीमित परिधि में व्यथित व्यक्ति की शिकायत को समझने की है और उसकी शिकायत पर उत्तम संभावित समाधान और प्रयास ऐसे समाधानों के लिए निवारणों और उपायों को ध्यान में रखते हए करेगा।

 

9. परामर्शदाता, व्यथित व्यक्ति की शिकायत के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों द्वारा समाधान के लिए निबंधनों के पुन: निश्चित करने और परामर्श के लिए पक्षकारों द्वारा सुझाए गए उपायों या उपचारों को ध्यान में रखते हुए जो अपेक्षित हो समाधान पर पहुंचने का प्रयास करेगा।

10.  परामर्शदाता भारतीय साक्ष्य अधिनियम,  1872 या सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 या दंड प्रक्रिया संहिता, 197 के उपबंधों द्वारा आबद्ध नहीं होगा और वह उसका कार्य निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों से मार्ग दर्शित होगा और उसका उद्देश्य व्यथित व्यक्ति के समाधान प्रदरुप में घरेलु हिंसा को समाप्त करना होगा और परामर्शदाता इस निमित्त ऐसे प्रयास करते समय व्यथित व्यक्ति की इच्छाओं और संवेदनाओं का सम्यक ध्यान रखेगा।

 

11.  परामर्शदाता, मजिस्ट्रेट को समुचित कार्यवाही के लिए यथासंभव शीघ्र अपनी रिपोर्ट देगा।

 

12. परामर्शदाता विवाद के समाधान पर पहुंचते समय वह समझौते के निबंधनो को अभिलिखित करेगा और उसे पक्षकारों द्वारा पृष्ठांकित कराएगा।

 

13.  न्यायालय, समाधान की प्रभावकारिता के बारे में समाधान हो जाने पर और पक्षकारों से आरंभिक पूछताछ करने के पश्चात तथा ऐसे समाधान के लिए कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात जिसके अंतर्गत प्रत्यर्थी को घरेलु हिंसा के कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोकना, प्रत्यर्थी द्वारा किए जाने की स्वीकार्यता, शर्तों के साथ या बिना निबंधनो को स्वीकार करने के लिए भी है।

 

14.  न्यायालय का परामर्श की रिपोर्ट से समाधान हो जाने पर समझौते के निबंधनो को अभिलिखित करते हुए कोई आदेश पारित करेगा या व्यथित व्यक्ति के अनुरोध पर पक्षकारों की सहमति से, समझौते के निबंधनों को उपांतरित करते हुए कोई आदेश पारित करेगा।

 

15. उन दशाओं में जहाँ परामर्श कार्यवाहियों पर किसी समझौते के निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते वहां, परामर्शदाता ऐसी कार्यवाहियों के असफल होने की रिपोर्ट न्यायालय को देगा और न्यायालय अधिनियम के उपबंधों के अनुसार मामले में कार्यवाही करेगा।

16.  मामले में कार्यवाहियों के अभिलेख सारवान अभिलेख नहीं समझे जाएंगे, जिसके आधार पर कोई स॔दर्भ अर्थ निकाला जा सके या उसके आधार पर केवल आदेश पारित किया जा सकेगा।

 

17.  न्यायालय, धारा 25  के अधीन केवल यह समाधान हो जाने पर की ऐसे को आदेश के लिए आवेदन बल, कपट या प्रपीडन या किसी अन्य कारण के द्वारा निष्फल नहीं होगा, आदेश पारित करेगा और उस आदेश के ऐसे समाधान के लिए कारण अभिलिखित किए जाए॔गे जिसके अंतर्गत प्रत्यर्थी द्वारा दिया गया कोई वचनबंध या प्रतिभुति भी हो सकेगी।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 11:08 am

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