घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के अनुसार धारा 37 में विहित किये गये अनुसार केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति क्या है?

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उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 37 में विहित किये गये अनुसार केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति निम्नानुसार –

37. केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति

(1)  केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए अधिसूचना द्वारा नियम बना सकेगी।

(2)  विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबन्ध कर सके॔गे, अर्थात-

क] वे अर्हताएं और अनुभव, जो धारा 8 की उपधारा (2)  के अधीन किसी संरक्षण अधिकारी के पास होंगे;

 

ख] धारा 8 की उपधारा 3  के अधीन संरक्षण अधिकारी और उसके अधीनस्थ अन्य अधिकारियों की सेवा के निबन्धन और शर्ते;

 

ग] वह प्ररुप और रिति जिसमें धारा 9 की उपधारा 1 के खण्ड ख के अधीन कोई घरेलु घटना रिपोर्ट बनाई जा सकेगी;

घ] वह प्ररुप और रिती जिसमें, धारा 9  की उपधारा 1 के खण्ड ग के अधीन संरक्षण आदेश के लिए मजिस्ट्रेट को कोई आवेदन किया जा सकेगा;

ड] वह प्ररुप जिसमें, धारा 9 की उपधारा 1 के खण्ड घ के अधीन कोई परिवाद फाइल किया जाएगा;

च] धारा 9  की उपधारा 1 के खण्ड झ के अधीन संरक्षण अधिकारी दवारा किए जाने वाले अन्य कर्तव्य;

छ] धारा 10 की उपधारा 1 के अधीन सेवा प्रदाताओं के रजिस्ट्रीकरण को विनियमित करने के नियम;

ज] वह प्ररुप जिसमें इस अधिनियम के अधीन अनुतोष की वांछा करने के लिए धारा 12 की उपधारा 1 के लिए कोई आवेदन और वे विशिष्टियाँ जो उस धारा की उपधारा 3 के अधीन ऐसे आवेदन में अन्तर्विष्ट होंगी;

झ] धारा 13 की उपधारा 1 के अधीन सूचनाओं की तामील की युक्तियाँ;

त्र] धारा 13 की उपधारा 2 के अधीन संरक्षण अधिकारी द्वारा दी जाने वाली सूचना की तामील की घोषणा का प्ररुप;

ट] परामर्श देने के लिए अर्हताएं और अनुभव जो धारा 14 की उपधारा 1 के अधीन सेवा प्रदाता के किसी सदस्य के पास होंगे;

ठ] वह प्ररुप, जिसमें कोई शपथपत्र, धारा 23 की उपधारा 2 के अधीन व्यथित व्यक्ति द्वारा फाइल किया जा सके;

ड] कोई अन्य विषय, जो विहीत किया जाना है या विहीत किया जा सकेगा।

 

3)  इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र म हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व, दोंनो सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिएतो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकुल प्रभाव नहीं पडेगा।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 10:57 am

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