घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अनुतोषों के आदेश अभिप्राप्त करने के लिए धारा 20 में विहित किये गये अनुसार धनीय आदेश की प्रक्रिया क्या है?

leave a comment »

उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 20 में विहित किये गये अनुसार  धनीय आदेश निम्नानुसार

20. धनीय आदेश-

1) धारा 12 की उपधारा (1)  के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेलु हिंसा के परिणामस्वरुप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी सन्तान को उपगत व्यय और कारित नुकसान की पुर्ति के लिए धनीय अनुतोष का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा और ऐसे अनुतोष में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे किन्तु यह निम्नलिखित तक ही सीमित नही होगी-

क] उपार्जनों की हानि;

ख] चिकित्सीय खर्चे;

ग] व्यथित व्यक्ति के नियंत्रण में से किसी सम्पत्ति के नाश, नुकसानी या हटाए जाने के कारण हुई हानि; और

घ] उसकी सन्तान, यदि कोई हों के साथ साथ व्यथित व्यक्ति के लिए भरण- पोषण, जिसमें दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2)  की धारा 125  या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कोई आदेश या भरण पोषण के आदेश के अतिरिक्त कोई आदेश सम्मिलित है।

 

2)  इस धारा के अधीन अनुदत्त धनीय अनुतोष, पर्याप्त, उचित और युक्तियुक्त होगा तथा उस जीवनस्तर से, जिसका व्यथित व्यक्ति अभ्यस्थ है, संगत होगा।

 

3)  मजिस्ट्रेट को, जैसा मामले की प्रकृत्ति और परिस्थितियाँ, अपेक्षा करें, भरण-पोषण के एक समुचित एकमुश्त संदाय या मासिक संदाय का आदेश देने की शक्ति होगी।

 

4) मजिस्ट्रेट, आवेदन के पक्षकारों को और पुलिस थाने के भारसाधक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं की अधिकारिता में प्रत्यर्थी निवास करता है, उपधारा (1)  के अधीन दी गई धनीय अनुतोष के आदेश की एक प्रति भेजेगा।

 

5)  प्रत्यर्थी, उपधारा (1)  के अधीन आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर व्यथित व्यक्ति को अनुदत्त धनीय अनुतोष का संदाय करेगा।

 

6)  उपधारा (1)  के अधीन आदेश के निबन्धनों में संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी की ओर से असफलता पर, मजिस्ट्रेट प्रत्यर्थी के नियोजक को या ऋणी को, व्यथित व्यक्ति को प्रत्यक्षतः संदाय करने या मजदूरी या वेतन का एक भाग न्यायालय में जमा करने या शोध्य ऋण या प्रत्यर्थी के खाते में शोध्य या उदभूत ऋण को, जो प्रत्यर्थी द्वारा संदेय धनीय अनुतोष म समायोजित कर ली जाएगी, जमा करने का निदेश दे सकेगा।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 10:48 am

Leave a comment