घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अनुतोषों के आदेश अभिप्राप्त करने के लिए धारा 18 में विहित किये गये अनुसार मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को सुनवाई का एक अवसर दिए जाने के पश्चात और उसका प्रथम दृष्ट्या समाधान होने पर कि घरेलु हिंसा हुई है या होने वाली है, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में तथा प्रत्यर्थी को क्या प्रतिषिद्ध करते हुए एक संरक्षण आदेश पारित कर सकेगा?

leave a comment »

उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 18 में विहित किये गये अनुसार  संरक्षण आदेश निम्नानुसार

 

18. संरक्षण आदेश-

मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को सुनवाई का एक अवसर दिए जाने के पश्चात और उसका प्रथम दृष्ट्या समाधान होने पर कि घरेलु हिंसा हुई है या होने वाली है, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में तथा प्रत्यर्थी को निम्नलिखित से प्रतिषिद्ध करते हुए एक संरक्षण आदेश पारित कर सकेगा-

क] घरेलु हिंसा के किसी कार्य को करना;

ख] घरेलु हिंसा के कार्यों के कारित करने में सहायता या दुष्प्रेरित करना;

ग] व्यथित व्यक्ति के नियोजन के स्थान में यदि व्यथित व्यक्ति बालक है, तो उसके विद्यालय में या किसी अन्य स्थान में जहाँ व्यथित बार बार आता जाता है, प्रवेश करना;

घ] व्यथित व्यक्ति से सम्पर्क करने का प्रयत्न करना, चाहे वह किसी रुप में हो, इसके अन्तर्गत वैयक्तिक, मौखिक या लिखित या इलैक्ट्रॉनिक या दूरभाषीय सम्पर्क भी है;

ड] किन्ह आस्तियों का अन्य संक्रामण करना; उन बैंक लाकरों या बैंक खातों का प्रचालन करना जिनका दोनों पक्षों द्वारा प्रयोग या धारण या उपयोग, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी द्वारा संयुक्ततः या प्रत्यर्थी द्वारा अकेले किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत उसका स्त्रीधन या अन्य कोई सम्पत्ति भी है, जो मजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना या तो पक्षकारों द्वारा संयुक्ततः या उनके द्वारा पथकतः धारित की हुई है;

 

च] आश्रितों, अन्य नातेदारों या किसी ऐसे व्यक्ति को जो व्यथित व्यक्ति को घरेलु हिंसा के विरुद्ध सहायता देता है, के साथ हिंसा कारित करना;

 

छ] ऐसा कोई अन्य कार्य करना जो संरक्षण आदेश में विनिर्दिष्ट किया गया है।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 10:47 am

Leave a comment