घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के अनुसार धारा 31 में विहित किये गये अनुसार प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए क्या शास्ति होगी?

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उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 31 में विहित किये गये अनुसार प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति निम्नानुसार

31.  प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति-

(1)  प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश या किसी अन्तरिम संरक्षण आदेश का भंग , इस अधिनियम के अधीन एक अपराध होगा और ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो बीस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनो से दण्डनीय होगा।

 

(2) उपधारा (1)  के अधीन अपराध का विचारण यथासाध्य उस मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा जिसने अभियुक्त द्वारा कारित किए गए अभिकथित भंग के लिए आदेश पारित किया था।

 

(3) उपधारा (1)  के अधीन आरोपों को विरचित करते समय, मजिस्ट्रेट, भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता (1860 का 45)  की धारा 498 क या उस संहिता के किसी अन्य उपन्ध या दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961, (1961 का 28)  केअधीन आरोपों को भी विरचित कर सकेगा, यदि तथ्यों से यह प्रकट होता है कि उन उपबन्धों के अधीन कोई अपराध हुआ है।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 10:54 am

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