घरेलु हिंसा पर प्रश्नोत्तर

अमोल मालुसरे से जानिए घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 व नियम 2006

अमोल मालुसरे- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 3 में विहित किये गये अनुसार घरेलु हिंसा की परिभाषा क्या है ?

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उत्तर- घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 3 में विहित किये गये अनुसार

 धारा 3. घरेलु हिंसा की परिभाषा-

इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या कुछ करना या आचरण, घरेलु हि॔सा गठित करेगा यदि वह,-

क) व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि करता है, या उसे कोई क्षति पहुँचाता है या उसे संकटापन्न करता है या उसकी ऐसा करने की प्रवृत्ति है और जिसके अंतर्गत शारिरीक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग और आर्थिक दुरुपयोग कारित भी है; या

 

ख)  किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधि विरूद्ध माँग की पूर्ति के लिए उसे या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को प्रपीडीत करने की दृष्टि से व्यथित व्यक्ति का उत्पीडन करता है या उसकी अपहानि करता है या उसे क्षति पहुँचाता है या संकटापन्न करता है; या

 

ग) खंड (क)  या खंड (ख)  में वर्णित किसी आचरण द्वारा व्यथित व्यक्ति या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर धमकी का प्रभाव रखता है; या

 

घ) व्यथित व्यक्ति को, अन्यथा क्षति पहुँचाता है या उत्पिडन कारित करता है, चाहे वह शारिरीक हो या मानसिक।

 

स्पष्टीकरण 1 –  इस धारा के प्रयोजनों के लिए-

i) “शारीरिक दुरुपयोग” से ऐसा कोई कार्य या आचरण अभिप्रेत है जो ऐसी प्रकृति का है, जो व्यथित व्यक्ति को शारिरीक पीडा, अपहानि या उसके जीवन , अंग या स्वास्थ्य को खतरा कारित करता है या उससे उसके स्वास्थ्य या विकास का ह्रास होता है और इसके अंतर्गत हमला, आपराधिक अभित्रास और आपराधिक बल भी है;

 

ii) “लैंगिक दुरुपयोग” से लैंगिक प्रकृति का कोई आचरण अभिप्रेत है, जो महिला की गरिमा का दुरूपयोग, अपमान, तिरस्कार करता है या उसका अन्यथा अतिक्रमण करता है;

 

iii) “मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग” के अन्तर्गत निम्नलिखित है-

क) अपमान, उपहास, तिरस्कार गाली और विशेष रुप से संतान या नर बालक के न होने के संबंध में अपमान या उपहास; और

 

ख)किसी ऐसे व्यक्ति को शारीरिक पीडा कारित करने की लगातार धमकियाँ देना     , जिसमें व्यथित व्यक्ति हितबद्ध है;

 

iv)“आर्थिक दुरुपयोग” के अंतर्गत निम्नलिखित है-

क) ऐसे सभी या किन्ही आर्थिक या वित्तिय संसाधनों, जिनके लिए व्यथित व्यक्ति किसी विधि या रूढी के अधीन हकदार है, चाहे वे किसी न्यायालय के किसी आदेश के अधीन या अन्यथा संदेय हो या जिनकी व्यथित व्यक्ति किसी आवश्यकता के लिए, जिसके अंतर्गत व्यथित व्यक्ति और उसके बालकों, यदि कोई हों, के लिए घरेलु आवश्यकताएं भी है, किन्तु जो उन तक सीमित नहीं है, स्त्रीधन, व्यथित व्यक्ति द्वारा संयुक्त रुप से या पृथकत: स्वामित्व वाली संपत्ति, साझी गृहस्थी और उसके रखरखाव से संबंधित भाटक के संदाय, से वंचित करना;

 

ख)  गृहस्थी की चीजवस्त का व्ययन, आस्तियों का चाहे वे जंगम हों या स्थावर, मूल्यवान वस्तुओं, शेयरों, प्रतिभुतियों, बंधपत्रों और इसके सदृश या अन्य संपत्ति का कोई अन्य संक्रामण, जिसमें व्यथित व्यक्ति कोई हित रखता है या घरेलु नातेदारी के आधार पर उनके प्रयोग के लिए हकदार है या जिसकी व्यथित व्यक्ति या उसकी संतानों द्वारा युक्तियुक्त रुप से अपेक्षा की जा सकती है या उसका स्त्रीधन या व्यथित व्यक्ति द्वारा संयुक्तत: या पृथकत: शारित करने वाली कोई अन्य संपत्ति; और

 

ग) ऐसे संसाधनों या सुविधाओं तक, जिनका घरेलु नातेदारी के आधार पर कोई व्यथित व्यक्ति, उपयोग या उपभोग करने के लिए हकदार है, जिसके अंतर्गत साझी गृहस्थी तक पहुँच भी है, लगातार पहुँच के लिए प्रतिषेध या निर्बन्धन।

 

स्पष्टीकरण 2  – यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या कुछ करना या आचरण इस धारा के अधीन “घरेलु हिंसा” का गठन करता है, मामले के संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया जाएगा।

Written by 11amol

September 22, 2011 at 10:38 am

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